1 - शे'र
मुहब्बत कभी तुम किए ही नही हो,
तभी जानते ही नही हो मुहब्बत।
محبت کبھی تم کئے ہی نہیں ہو
تبھی جانت ہی نہیں ہو محبت.
आकिब जावेद
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2- शे' र
मुहब्बत कभी तुमने की ही नहीं है
तभी तो मुहब्बत नहीं जानते हो।
आकिब जावेद
3 टिप्पणियाँ
Mohabbat kabhi tumne ki hi nahin hai,
जवाब देंहटाएंसर बहुत शुक्रिया आपका
हटाएंKiye to bahut hai.
जवाब देंहटाएंThanks For Visit My Blog.