नज़्म - ईद

आप सभी को ईद की बहुत बहुत मुबारकबाद🌹🇮🇳

मिला सबको ये रोजे का इनाम,
दे रहा ईद मोहब्बत का पैगाम।
जकात, फितरा, सदका तो है,
ईद के ये सब अहम अहकाम।

ईद आई नई सुब्ह खुर्शीद के साथ,
ईद मेरी हो तेरी दीद के साथ साथ।
माह ए रमजान ने नेकी सिखाया है,
गांठ बांध लेना सभी ईद के साथ।

खुशियों से भरा दिन आया है,
घर आंगन को ये महकाया है।
मुल्क में अमन दायम कायम हो,
सियासत को ये कब भाया है।

पड़ोस  में  गर  कोई  भूखा रहेगा,
गरीब कहां किसी से कुछ कहेगा।
ईद अपनी कैसे हम मना  पाएंगे,
किसी की आंखों से आंसू बहेगा।

गिले शिकवे मिटा कर गले मिले,
शेख - बहरमन साथ - साथ चले।
हाथ उठाकर दुआ मांग रहे सब,
मुहब्बत के फूल चमन में खिले।

आकिब जावेद



एक टिप्पणी भेजें

7 टिप्पणियाँ

  1. , 🌙🌙🌙ग़ज़ल🌙🌙🌙
    इतना एहसान उठाना कि ईद का दिन है
    दिन में ही ख्वाब में आना कि ईद का दिन है

    अपने ख्वाबों को ज़ुबाँ से नही आँखों से कहो
    हमसे कुछ भी न छिपाना कि ईद का दिन है।

    हमको भी ईद की खुशियों की तलब है यारो
    तुम हमें भूल न जाना कि ईद का दिन है।

    होश में रहने की ठानी है आज इस दिल ने
    आज हमको न पिलाना कि ईद का दिन है।

    ईद मिलने के लिये चाँद ज़मीं पे आजा
    भूल हर शिकवा पुराना कि ईद का दिन है।

    एक बोसा ही फ़क़त हमने उनसे माँगा था
    और वाजिब है बहाना कि ईद का दिन है।

    ईद मिलता है ज़माने को दिखाने के लिये
    हो गया है वो सयाना कि ईद का दिन है।

    -धर्मराज देशराज
    । सीहोर । म प्र

    जवाब देंहटाएं

Thanks For Visit My Blog.