वो ग़मो को यूं हवा देते हैं
हम ख़ुशी को भी भुला देते हैं
मेरे हर राज़ से हैं वो वाकिफ़
इसलिए ही तो दग़ा देते हैं
जोड़ने की दिलों की ख्वाहिश में
हम ग़मो को भी भुला देते हैं
कम नहीं वो खुदा से भी यारो
जो के बिछड़ो को मिला देते हैं
ज़ात मज़हब की सियासत में ही
वो हमें खूब लड़ा देते हैं
-आकिब जावेद
4 टिप्पणियाँ
वाह.... बहुत अच्छे...बहुत खूबसूरत 👌🏻
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर जी🌹
हटाएं👌 Vary Very Nice Lines 👌
जवाब देंहटाएंThank you so much❤️
हटाएंThanks For Visit My Blog.