एक स्त्री को
एक रोटी का टुकड़ा
तोड़ने के लिए
तोड़नी पड़ती है..
न जाने कितनी
बंदिशे।
पुनः उन्ही बंदिशों
में बंधने के लिए।
आकिब जावेद
"सपने वो नहीं जो नींद में देंखें,सपने वो हैं जो आपको नींद न आने दें - ए० पी०जे०अब्दुल कलाम "
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