आज की शायरी आकिब जावेद के साथ

प्राकृतिक ठौर - ठिकाना 
सुकून को थोड़ा ढूंढ लाना 
भागम भाग सी ज़िंदगी है 
चलते - चलते ठहर जाना।

आकिब जावेद

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ