सियारों को
कुत्तों ने
जंगल में
भगाया,
गली - कूचों में
कब्जा जमाया।
कुत्तों की
आवारागर्दी ने
ऐसा गदर मचाया
आम इंसान
खूब थर्राया।
समय का पहिया
ऐसा घूमा
कुत्तों को
कुछ समझ न आया
कुत्तों को
कर्मों का फल
याद आया।
आकिब जावेद
"सपने वो नहीं जो नींद में देंखें,सपने वो हैं जो आपको नींद न आने दें - ए० पी०जे०अब्दुल कलाम "
Copyright (c) 2021 Awaj E Sukhan E Adab All Right Reseved
6 टिप्पणियाँ
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार, अगस्त 16 , 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया आपका आदरणीय
हटाएंनिर्दोष जीवों पर हिंसा न सिर्फ़ अमानवीय है, बल्कि यह हमारे समाज की संवेदनहीनता का आईना भी है।
जवाब देंहटाएंजरूरी है कि ऐसे मामलों में लोगों में जागरूकता फैलाई जाए कि दया और करुणा ही हमें सच्चा इंसान बनाती है।
दया एवं जागरूकता वाली भी कविता है।व्यंग्यात्मक एवं अपने हिसाब से कविता को समझ सकते है आदरणीय
हटाएंसटीक
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय जी
हटाएंThanks For Visit My Blog.