कविता : कही - अनकही

#सुप्रभात 

सफलता के मानक 
दो हज़ार पच्चीस तक
आते - आते बदल चुके हैं 
आप सोशल मीडिया
के महारथी बन चुके हो
आपका कंटेंट मॉनिटाइज हो गया
समझ लीजिए 
आप सफल हो गए।

मार्क जुकरबर्ग तो यही चाहते है
भारत में 
ज्ञान - विज्ञान,नैतिकता
रचनात्मकता
इन सबका
पैमाना बदल चुका है।
अब हम सफल
सोशल मीडिया में मिले 
चंद डॉलर की खनक
को मान चुके है।
सोशल मीडिया के
आगे नतमस्तक हो चुके है
एवं 
अपनी रचनात्मकता को
गवां चुके है।

आकिब जावेद

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ