स्मृतियां

स्मृति न अतीत है,
न भविष्य की छाया
वह तो चेतना का
एक ठहराव मात्र है।

जो बीत गया,
वह गया नहीं;
जो आने वाला है,
वह नया नहीं।

जीवन न चलता है,
न रुकता है- 
वह केवल
घटित होता है।

याद और भूल
दोनों ही साधन हैं,
अहं को गलाने के,
अनुभव को पकाने के।

कर्म बीज है,
स्मृति उसका अंकुर- 
और जीवन
उसका मौन फल।

जो समझ गया,
वह मुक्त हुआ;
जो उलझा स्मृतियों में,
वह पुनः जन्मा।

आकिब जावेद

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