२०.०७.२३
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स्तब्ध करे दे समाज को, घटना हुई गंभीर
मानवता शर्मशार है, पेश करो नाज़ीर
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आकिब जावेद
२०.०७.२३
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स्तब्ध करे दे समाज को, घटना हुई गंभीर
मानवता शर्मशार है, पेश करो नाज़ीर
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आकिब जावेद
"सपने वो नहीं जो नींद में देंखें,सपने वो हैं जो आपको नींद न आने दें - ए० पी०जे०अब्दुल कलाम "
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