२६.०७.२३
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हौसलों को नई हवा देना।
अपनी मंज़िल नहीं भुला देना।
हाथ में जो लिए हुए पत्थर,
आईना तू उसे दिखा देना।
रौशनी हो खुशी की हर ज़ानिब,
आँसुओं से दिया जला देना।
حوصلوں کو نہیں ہوا دینا
اپنی منزل نہیں بھلا دینا
ہاتھ میں جو لیے ہوئے پتھر
ائینہ تو اسے دکھا دینا
روشنی ہو خوشی کی ہر جانب
انسوؤں سے دیا جلا دینا
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عاقب جاوید@ आकिब जावेद
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