पर्यावरण दिवस के अवसर पर पढ़े कविता

5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर कविता

हवा  सोच  रही  दवा  को
देख  रही  नज़ारे  धरा  में
ज़हरीली  हो  गई  है  हवा
लेना   होगा  सबको  दवा

ग़र  नही  चेते  समय  से  हम
नज़र  नही  आयेगी  ये  धरा

हरे   भरे   वृक्षो   को  काटे
तमस   सबको   मारे  चाटे

कंक्रीट   के   तो  वृक्ष  लगे
नही  देगे  पाएंगे  शुद्ध  हवा
चाहे   लेले   ए. सी , कूलर 
मानुष तू  चाहे जो  लगवाले
नहीं मिलेगी फिर शुद्ध  हवा

मिलके  आओ सभी  वचन ले
मिलके एक -  एक वृक्ष लगाले
प्रकृति  की  हम  ले  शुद्ध हवा
धरा को  फिर  हरा  भरा करले

आकिब जावेद 

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