तेरी ख़ुमारी मुझपे भारी हो गई है,
उम्र की मुझपे यूं उधारी हो गई है।
Teri khumari mujhpe bhari ho gyi hey,
Umra ki mujhpe yu udhari ho gyi hey.
मुद्दतों से खुद को ही देखा नही,
आईने पे धूल भारी हो गई है।
Muddato se khud ko hi dekha nhi,
Aaine pe dhool bhari ho gyi hey.
चाहकर भी मौत अब न मांगता ,
ज़िन्दगी अब जिम्मेदारी हो गई है।
Chahkar Bhi maut ab n mangata,
Zindgi ab jimmedari ho gyi hey.
छुपके-छुपके देखते जो आजकल,
उनको भी चाहत हमारी हो गई है।
Chhupke-chhupke dekhte jo aajkal,
Unko bhi chahat hamari ho gyi hey.
जिनके संग जीने की कस्मे खाईं थीं,
उनको मेरी ज़ीस्त भारी हो गई है।
Jinke sang jeene ki kasme khayin thi,
Unko meri Zeest bhari ho gyi hey.
चंद दिन गुज़ारे जो तेरे गेसुओँ में,
कू ब कू चर्चा हमारी हो गई है।
Chand din guzare jo tere gesuon me,
Ku ba ku charcha hamari ho gyi hey.
कह रहा मुझसे है आकिब ये जहां,
दुश्मनो से खूब यारी हो गई है।
Kah rha mujhse hey akib ye jahan,
Dushmano se khoob yari ho gyi hey.
-आकिब जावेद©Akib Javed
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