ज़िन्दगी जीने में वो सफल रहे।
काल की गोद में ही पलते रहे।
अटल तुम अटल थे अटल रहे।
मृत्यु भी ना कुछ बिगाड़ सकी।
सामने काल देख वो हँसते रहे।
अटल तुम अटल थे अटल रहे।
वो सरस मन कवि ह्रदय रहा।
देश को कभी न झुकने दिया।
देश के दिल में सदा बसते रहे।
अटल तुम अटल थे अटल रहे।
देश को शक्तिशाली दिया बना।
पोखरण से देश का नाम हुआ।
दुश्मन भी यूं थर-थर काँप उठे।
अटल तुम अटल थे अटल रहे।
काल को तुमने ही थाम लिया।
ध्वजा को तुमने न झुकने दिया।
अटल तुम अटल थे अटल रहे।
शीर्ष में रहके न विचलित हुआ।
जन-जन के मन को भी छुआ।
राह में तेरी यूंपलके बिछती रहे।
अटल तुम अटल थे अटल रहे।
-आकिब जावेद
8 टिप्पणियाँ
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 26 दिसंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
बहुत बहुत धन्यवाद आपको
हटाएंबेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंअटल जी को शत शत नमन।
New post - मगर...
बहुत शुक्रिया आपका
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका
हटाएंअटलजी के लिए बेहद सुंदर
जवाब देंहटाएंपंक्तियां
"शीर्ष में रहके न विचलित हुआ।
जन-जन के मन को भी छुआ।
राह में तेरी यूंपलके बिछती रहे।
अटल तुम अटल थे अटल रहे"
बहुत बहुत शुक्रिया आपका जी
हटाएंThanks For Visit My Blog.