सूरत कैसी सीरत कैसी

सूरत   कैसी   सीरत   कैसी
दिल  में  है ये  फ़ितरत कैसी

वो देता पेड़ो  में फल भी
सोया क्यूँ है  ग़फ़लत  कैसी

कब जाने रुख़्सत हो जाये
दुनिया  से ये  उल्फ़त  कैसी

महका दामन खुशियाँ आयी
मेरे  आने  से  आफ़त  कैसी

मेरे दिल में आओ अब तुम
यारी  में  ये  कीमत कैसी

आँखों  का  ही  कैदी  है तू
दिल में आने की ज़ुर्रत कैसी

-आक़िब जावेद

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