शीर्षक- आपकी याद में
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भोर की लालिमा
पक्षियों की चहचहाट
के मध्य मद्धम मद्धम
हवा में घुल रही
पुष्पो की महक
जिसमें नज़र आती है
तुम्हारे साथ बिताए
हुए सम्पूर्ण पल
जिसमें उपजी थी
मोहब्बत की कोपलें
जो खिलने को तैयार थी।
आपकी याद में
आज भी इंतज़ार
कर रही है वो भोर
वो लालिमा
वो पुष्प एवं
वही महकती
हवा,,
-आकिब जावेद
4 टिप्पणियाँ
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 16 सितंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
शानदार
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर।
बेहद सुंदर रचना,सुखद सुहानी भोर की कल्पना
जवाब देंहटाएंThanks For Visit My Blog.