किताब हूँ मैं
पढ़ो ध्यान लगा के
मुझको खूब।
मन का साथी
विचारों में सौंदर्य
खूब लाता हूँ।
संकीर्णता से
मन को आगे अब
मैं बढ़ाता हूँ।
बंदिशें सब
तोड़ कर इंसान
मैं बनाता हूँ।
एकाकीपन
लोगो की दूर करूँ
मैं मुस्काता हूँ।
जानता सब
ज्ञान का घड़ा लिए
मैं सिखाता हूँ।
किताब हूँ मैं
"आकिब"सीखो अब
भर लो रंग।।
जीवन में तू
नित नए नए यूँ
ज्ञान के संग।।
-आकिब जावेद
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