अकेला।।कविता

हर राह,हर गली,
हर मोड़,हर सड़क
हर चाह,कोई हमसफर
मत भूल तू पथिक निडर
चलता जायेगा तू हरदम
यूँ ऐसे अकेला ही चल
जिंदगी के इस पथ पर
तू अब घर से निकल
नए नए सफर में चल
अनुभवों से सीख ले
व्यक्तित्व से तू खींच ले
नए सुनहरे हैं कल
मत डर,तू अकेला ही चल,
मिलेगी तुझे एक नयी उमंग
जग में मिलेगी एक पहचान
मत हार तू,,अब खुद से ही
कुछ करने का अब हौसला
तू पास रख,,,
अकेला ही चल,
अकेला ही चल।।

#akib

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