चलो किसी को मनाया जाए
किसी रोते को हंसाया जाए
होंटो पे मुस्कान लाया जाए
कुछ फ़लसफ़े सुनाया जाए
कुछ अनकहा सुनाया जाए
दिल की बात बताया जाए
कदर नही करता कोई ऐसे
कोई हंगामा उठाया जाए
बेखुदी को अपने खुद बताया जाए
अफ़साने कुछ उनके सुनाया जाए
अश्को की माला अब यूँ पिरोया जाए
खुद को ख़ुदाए इश्क से मिलाया जाए
घने अँधेरा में संमा जलाया जाए
किसी गरीब के घर को सजाया जाए
अन्याय को न्याय से बचाया जाए
चेहरे में किसी मुस्कान लौटाया जाए
अब किसी बहर को गुनगुनाया जाए
किसी ग़ज़ल को यूँ ही सुनाया जाए
अपनी नादानियों को गिनाया जाए
अब गलतियों को भी भुलाया जाए
शान शौकत अब ऐसे ना दिखाया जाए
अपनी दौलत क्यू ना बेसहारो पे लुटाया जाए
®आकिब जावेद
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