इस शहर की गलियों में बिखरा है अंधेरा,
कहाँ जलती हैं अब मोहब्बत की बरसातें।
सच बोलने की कीमत पड़ती है चुकानी,
दर - दर फिरती है हिम्मत की सौगातें।
आकिब जावेद
इस शहर की गलियों में बिखरा है अंधेरा,
कहाँ जलती हैं अब मोहब्बत की बरसातें।
सच बोलने की कीमत पड़ती है चुकानी,
दर - दर फिरती है हिम्मत की सौगातें।
आकिब जावेद
"सपने वो नहीं जो नींद में देंखें,सपने वो हैं जो आपको नींद न आने दें - ए० पी०जे०अब्दुल कलाम "
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