बसंत

जीवन के कई बसंत बीते
ऋतु आई चली गई
लेकिन नहीं आई
तो केवल गरीब के हिस्से की खुशहाली,
जिसका इंतेज़ार करते - करते 
गुज़र जाता है बसंत।

आकिब जावेद

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