कविता : गर्म मौसम

काश! आ पाती 
गर्म मौसम में
शीतल हवा
निर्मल छाया
हम ही दोषी है।
काट डालें वन
उपवन,
जी रहे कार्बन के
सहारे।
भाग रहे 
ठंडे प्रदेशों में
मिल सके सुकून
और ले सके 
ठंडी हवा।
लेकिन मिली 
वहां भी भीड़,
उमस,गर्मी
भीड़ ने कर
दिया है,
ठंडे प्रदेशों को गर्म।

आकिब जावेद

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