तेरे मिलने से पहले कुछ नही था
तेरे मिलने से बेहतर हो गया हूँ।
तुम्हारे हिज़्र का ग़म कैसे मैं भूलूँ
कि दिल मे ज़ब्त नश्तर हो गया हूँ।
लिया था सर्द रातों ने जो बाहों में
तेरे बोसे की गर्मी पे निछावर हो गया हूँ।
"सपने वो नहीं जो नींद में देंखें,सपने वो हैं जो आपको नींद न आने दें - ए० पी०जे०अब्दुल कलाम "
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5 टिप्पणियाँ
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (१३-०२ -२०२२ ) को
'देखो! प्रेम मरा नहीं है'(चर्चा अंक-४३४०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आपका बहुत बहुत शुक्रिया आद.💐💐
हटाएंबाबा वेलेंटाइन द्वारा प्रतिपादित वैलेंटाइन सप्ताह, के हग डे पर आपकी गजल के हर शेर काबिले तारीफ हैं। साधुवाद!--ब्रजेंद्रनाथ
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत शुक्रिया आद.जी💐💐
हटाएंउम्दा सृजन।
जवाब देंहटाएंThanks For Visit My Blog.