आंखे
ईश्वर का दिया
मनुष्य को बहुमूल्य तोहफ़ा,
जो
करती हैं मार्मिक बातें
प्यार हो या अंतर्द्वंद
वो भली-भांति
समझती हैं सब
भूख हो
या
प्यास का एहसास
दुख और सुख का आभास
करे कोई नेक कार्य
या अत्याचार
देखती हैं सब
बिना कुछ कहे
बिना कुछ सुने
क्या करें
वो तो आंख है
उसे केवल देखने का
अधिकार है
बोलने से ज्यादा।
-■आकिब जावेद■
20 टिप्पणियाँ
बहुत ही सुन्दर रचना....👌
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया आपका
हटाएंआँखों की अपनी भाषा है. एक ऐसी भाषा जिसको जुबान नहीं होती. बहुत सुंदर रचना. लाजवाब.
जवाब देंहटाएंnew post- CYCLAMEN COUM : ख़ूबसूरती की बला
बहुत बहुत शुक्रिया आपका जी😍🌹
हटाएंनैनो की भाषा पर प्रकाश डालती शानदार ृरचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका सर
हटाएंलाजबाब काव्य,आपकी लेखनी का जादू मन को मोहित कर गया।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका
हटाएंबहुत ही खूबसूरत लफ़्ज़ों में नयनों का चित्रण किया है
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका जी
हटाएंआँखों की भाषा पर उत्तम रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आद. जी
हटाएंबहुत ही शानदार सृजन😍💓
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका आद. जी
हटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका
जवाब देंहटाएंशानदार रचना।
जवाब देंहटाएंआँखे बेज़ुबान कितना बोलती है।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका
हटाएंवो तो आंख है
जवाब देंहटाएंउसे केवल देखने का
अधिकार है
बोलने से ज्यादा।
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बेहतरीन अभिव्यक्ति।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आद.💐
हटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आद.💐
जवाब देंहटाएंThanks For Visit My Blog.