#ग़ज़ल
हमने सिक्के उछाल रख्खे हैं
वो सनम दिल निकाल रख्खे हैं।।
तेरी बातो पे था यकीं मुझको
गुमाँ क्या क्या जो पाल रख्खे हैं।।
पैर में तेरे आज है छाले
दर्द हमने ही पाल रख्खे हैं।।
संगमरमर की तेरी मूरत ने
पहलू क्या क्या निकाल रख्खे हैं।।
देख सूरत ये आइना हंसता
सपने कितने संभाल रख्खे हैं।।
जब हवाएं ख़िलाफ़ है फिर भी
कस्ती तूफाँ में डाल रख्खे हैं।।
दोस्त तलवार थामे है आकिब'
हम तो हाथो में ढ़ाल रख्खे हैं।।
-आकिब जावेद
बाँदा,उत्तर प्रदेश
10 टिप्पणियाँ
आकिब जी बहुत ही उम्दा ग़ज़ल है। हर शेर में वजन है। मेरी शुभकामनाएँ है। मैं मूलतः मध्य प्रदेश पन्ना के रहने वाला हूं। बांदा हमारे वहां से पास ही है। रीवा में तो पहले बहुत आना-जाना था। 1980 में छत्तीसगढ़ आ गया हूँ अब यही मेरा कर्म क्षेत्र है।
जवाब देंहटाएं*गोविंद पाल*
*अध्यक्ष*
*मुक्तकंठ साहित्य समिति
भिलाई, छत्तीसगढ़*
आदरणीय सर सादर नमन आपको,आपका कमेंट वास्तव में हौसलाअफजाई करने वाला है।मैं आपके उत्तम स्वास्थ्य एवं लम्बे उम्र की कामना करता हूँ।आदरणीय सर यह जानकर ख़ुशी हुई कि आप पन्ना के रहने वाले है।आपको बताते हुए मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है कि मेरा ननिहाल छत्तीसगढ़ है।
हटाएंधन्यवाद सर
आकिब जावेद
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (06-10-2021) को चर्चा मंच "पितृपक्ष में कीजिए, वन्दन-पूजा-जाप" (चर्चा अंक-4209) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका भी बहुत बहुत शुक्रिया सर❣️आप सलामत रहें सर💐आप से निवेदन है सर कि हमारे ब्लॉग को आप अपने ब्लॉग से लिंक करने का सर😍😍❤️
हटाएंउम्दा ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंहौसलाअफजाई के लिए आपका दिल से बहुत शुक्रिया
हटाएंइसके जल की जितनी तारीफ की जाए कम है बहुत ही शानदार.. ..
जवाब देंहटाएंहौसलाअफजाई के लिए आपका दिल से बहुत शुक्रिया
हटाएंशानदार ,ग़ज़ल हर शेर कुछ सार्थक कहता हुआ ।
जवाब देंहटाएंउम्दा/बेहतरीन।
आपका बहुत बहुत शुक्रिया💐💐
हटाएंThanks For Visit My Blog.