ग़ज़ल - वो सफ़र में मिला नही होता

#ग़ज़ल #غزل 

वो सफ़र में मिला नही होता।
दर्द    मेरा   हरा  नही  होता।

ज़िंदगी की पतंग भी उड़ती।
डोर  से  फ़ासला नही होता।

दूर नज़रों से मेरा हमसफ़र हैं।
क़ाश मुझसे ख़फ़ा नही होता।

आसमाँ में ग़र आशियाँ भी हो।
इस जहाँ का पता नही होता।

लब पे आकिब' न नाम लाता ये।
तज़किरा  भी  तेरा  नही होता।

-आकिब जावेद
#عاقب جاوید

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5 टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 15 सितंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

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  2. हृदयस्पर्शी बहुत ही भावनात्मक रचना!

    जवाब देंहटाएं

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