फ़ितरत उसकी समझ रहा हूँ।।
फिर भी उससे उलझ रहा हूँ।।
हक़ - बातिल के इस जंग में।।
हक़ साथ निभा फ़र्ज़ रहा हूँ।।
"सपने वो नहीं जो नींद में देंखें,सपने वो हैं जो आपको नींद न आने दें - ए० पी०जे०अब्दुल कलाम "
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