मुक्तक - स्त्री/बेटी

लक्ष्मी,दुर्गा,काली, के रूप में मुझको देखे हो
माँ,बहन,बेटी के रूप में भी मुझको सहेजे हो
मिट्टी को भी मैंने ऐसे खूब यहाँ पर तराश दिया
देख लो भगवान तुम किस अवतार में भेजे हो

-आकिब जावेद

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