युवा देश के जोश में - कविता

थका मुसाफ़िर अब
गम की ही भीड़ में
उद्वेलित जो होवे है
कभी ये मन मस्तिष्क
विहग उड़े है मन के
स्वप्नों के इह लोक में
बाह जोटती फिर धरा
युवा देश के जोश में।।

✍️आकिब जावेद✍️

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