आधुनिक भारत के रचयिता पंडित जवाहर लाल नेहरू के विचार

"संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है," एवं "हमारी नागरिकता देश की सेवा में निहित है"यह वाक्य है हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. जवाहरलाल नेहरु जी के जो हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे एवं स्वतंत्रता संग्राम के समय से भारतीय राजनीति के प्रमुख नेता थे।उन्होंने महात्मा गाँधी के साथ भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए एक साथ संघर्ष किया और देश की आजादी के बाद भी सन 1964 अपनी मृत्यु तक देश की सेवा करते रहे।जवाहरलाल नेहरु को आधुनिक भारत का रचईता भी कहा जाता है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ-साथ उच्च कोटि के विचारक भी थे।उनकी राजनीति स्वच्छ और सोहार्दपूर्ण थी।स्वतंत्रता संग्राम के समय उन्होंने जेल में रहकर अनेक पुस्तको की रचनाये की जैसे कि ‘मेरी कहानी,विश्व इतिहास की झलक,भारत की खोज’ उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ थी।राजनीति और प्रशासन की समस्याओ से घिरे रहने के बावजूद वे खेल,संगीत,कला आदि के लिए समय निकल लेते थे।बच्चो के तो वे अति प्रिय थे।आज भी वे बच्चो के बीच ‘चाचा नेहरू’ के नाम से लोकप्रिय है।उनके जन्मदिन 14 नवम्बर को हमारा देश ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाता है।


पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद में 14 नवम्बर सन 1889 को हुआ।इनके पिता मोतीलाल नेहरू प्रसिद्ध वकील थे।माता स्वरूपरानी उदार विचारो वाली महिला थी।नेहरू जी की आरम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई।अपने शिक्षको में एक एफ.टी.ब्रुम्स के सानिध्य में रहकर जहाँ इन्होने अंग्रेजी साहित्य और विज्ञान का ज्ञान प्राप्त किया वही मुंशी मुबारक अली ने इनके मन में इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जिज्ञासा पैदा कर दी।यही कारण है की उनके मन में बचपन से ही दासता के प्रति विद्रोह की भावना भर उठी।उच्च शिक्षा के लिए नेहरू जी को विलायत (इंग्लैंड) भेजा गया।वहां रहकर उन्होंने अनेक पुस्तकों का गहन अध्ययन किया।वकालत की शिक्षा पूरी करने के बाद वे भारत लौट आये और इलाहबाद हाईकोर्ट में वकालत करने लगे पर वकालत में उनका मन नहीं लगा।उनके मन में तो देश को स्वतंत्र कराने की इच्छा बलवती हो रही थी।इसी समय उनकी भेंट महात्मा गांधी जी से हुई।इस मुलाकात से उनकी जीवन-धारा ही बदल गयी।

नेहरू जी के बहुत सारे विचार जो उन्होंने भारत की खोज नामक पुस्तक में लिखा है वो हम सभी भारतीयों को प्रेरित करती है।नेहरू जी ने कहा था कि -"हमे असफलता तभी मिलती है जब हम अपने उद्देश्य,आदर्श और सिद्धांतो को भूल जाते है" हमें अपने उद्देश्यो एवं सिद्धान्तों को कभी नही भूलना चाहिए,हमे हमेशा उनका पालन करते रहना चाहिए।

एक कहानी नेहरू जी की हम सभी को प्रेरित करती है आप सभी को उस कहानी से रूबरू करवा रहा हूँ।
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू एक गांव में पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों से सवाल किया कि आप अक्सर भारत माता की जय का नारा लगाते हैं,क्या आप बता सकते हैं भारत माता कौन है? कोई जवाब नहीं मिला तो नेहरू बोले हमारे पहाड़,नदियां,जंगल,जमीन,वन संपदा,खनिज... यही तो भारत माता है।
आप भारत माता की जय का नारा लगाते हैं तो आप हमारे प्राकृतिक संसाधनों की जय ही करते हैं। नेहरू कहते थे हिन्दुस्तान एक ख़ूबसूरत औरत नहीं है। नंगे किसान हिन्दुस्तान हैं। वे न तो ख़ूबसूरत हैं,न देखने में अच्छे हैं- क्योंकि ग़रीबी अच्छी चीज़ नहीं है,वह बुरी चीज़ है। इसलिए जब आप 'भारतमाता' की जय कहते हैं- तो याद रखिए कि भारत क्या है,और भारत के लोग निहायत बुरी हालत में हैं- चाहे वे किसान हों, मजदूर हों, खुदरा माल बेचने वाले दूकानदार हों,और चाहे हमारे कुछ नौजवान हों। नेहरू की इसी सोच के चलते उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है।उन्होंने हमेशा देश की एकता की बात सोची है, उन्होंने भूखे गरीबो,निसहायो के बारे में सोचा है।देश जब आज़ाद हुआ उस समय भारत के पास कुछ भी नही था।किस तरह देश को अपने पैरों में खड़ा किया जाये इसके लिए नेहरू जी चिंतित रहते थे,उन्होंने किसानों को देश की मज़बूत कड़ी समझा और उनके हित की बात योजना आयोग में बनाई थी।इसी लिए उन्होंने अपने वसीयत में ये बात रखी भी थी,कि मै अगर जब भी मरू तो मेरी राख को पूरे भारत के खेत,नदी,खलिहान में जरूर डलवाया जाए,क्यों कि इसी में सच्चा भारत बसता है।

देश के प्रथम प्रधानमंंत्री की घरेलू नीति चार स्तंभों पर थी लोकतंत्र, समाजवाद,एकता और धर्मनिरपेक्षता। नेहरू ने अपने कार्यकाल के दौरान इन चारों स्तंभों को मजबूती प्रदान की। नेहरू एक आइकॉन थे। उनके आदर्श और राजनीतिक कुशलता का सम्मान विदेशों में भी किया जाता था। देश के जनमानस को आधुनिक मूल्य और विचारों से नेहरू ने ही संपृक्त कराया। उन्होंने धर्मनिरपेक्षता को सदा ही महत्व दिया। उन्होंने हमेशा देश की एकता बनाए रखने का प्रयास किया। वे जातीय अस्मिताओं और विविध धार्मिक समूहों वाले इस देश को वैज्ञानिक नवाचार और तकनीकी प्रगति के आधुनिक युग में लेकर गए। समाज में हाशिए के लोग और गरीब उनकी चिंता के केंद्र थे। लोकतात्रिंक मूल्यों में नेहरू ने सदैव पूर्ण आस्था रखी।

नेहरू को खास तौर पर हिंदू सिविल कोड लागू करने के लिए याद किया जाता है, इसी की बदौलत हिंदू औरतें उत्तराधिकार और संपत्ति में पुरुषों के साथ बराबरी का दर्जा पा सकीं। नेहरू ने ही हिंदू कानून में बदलाव लाकर जातिगत भेदभाव को आपराधिक कृत्य की श्रेणी में ला दिया। नेहरू ने ही पांच वर्षीय योजना में देश के सभी बच्चों को अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा देने की गारंटी दी।

नेहरू के अनुसार भारत की सेवा का अर्थ, करोड़ों पीड़ितों की सेवा है। इसका अर्थ दरिद्रता और अज्ञान, और अवसर की विषमता का अन्त करना है। नेहरू की आकांक्षा यही रही कि प्रत्येक आँख के प्रत्येक आँसू को पोंछ दिया जाए, ऐसा करना हमारी शक्ति से बाहर हो सकता है, लेकिन जब तक आँसू हैं और पीड़ा है, तब तक हमारा काम पूरा नहीं होगा।

जब लम्बे संघर्ष के बाद जब देश अंततः 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हुआ तो पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।लम्बी अवधि की परतन्त्रता के बाद देश के आर्थिक हालत अत्यंत जर्जर हो चुकी थी।जवाहरलाल नेहरु ने योजना आयोग का गठन किया,विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित किया और तीन लगातार पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया। उनकी नीतियों के कारण देश में कृषि और उद्योग का एक नया युग शुरु हुआ। नेहरू ने भारत की विदेश नीति के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाई।अपनी दूरदर्शिता और कर्मठता से नेहरू ने कृषि और उद्योगों के विकास हेतू पंचवर्षीय योजनाओ की आधारशिला रखी।आज देश में जो बड़े-बड़े कारखाने,वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं और विशाल बांध आदि दिखाई पड़ते है,इन्ही पंचवर्षीय योजनाओ की देन है।भाखड़ा नांगल बांध को देखकर नेहरू जी ने कहा था-
"मनुष्य का सबसे बड़ा तीर्थ,मंदिर,मस्जिद और गुरुद्वारा वही है,जहाँ इंसान की भलाई के लिए काम होता है"

नेहरू जी ने देश के चहुंमुखी विकास हेतू अनेक कार्य किये वे जानते थे की बिना अणुशक्ति के देश शक्ति संपन्न नहीं हो सकता।अतः उन्होंने परमाणु आयोग की स्थापना की।वे परमाणु ऊर्जा को सदैव विकास के कार्यो में लगाने के पक्षधर थे।ट्राम्बे के परमाणु संस्थान में उन्होंने एक बार कहा था-

"चाहे जो भी हो,हम किसी भी हालत में अणुशक्ति का प्रयोग विनाशकारी कार्यो के लिए नहीं करेंगे"

पंडित जवाहरलाल नेहरू बिना थके प्रतिदिन 18 से 20 घंटे कार्य करते थे.महान कवि राबर्ट फ्रॉस्ट की निम्नलिखित पंक्तियाँ उनका आदर्श थी-

"वन है सूंदर और सघन पर मुझको वचन निभाना है
नींद सताए इसके पहले कोसों जाना है, मुझको कोसों जाना है"

नेहरू जी ने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण देश सेवा में लगाया।वे स्वतंत्रता संग्राम में देश के लिए लड़े और देश को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में समर्थ बनाया।75 वर्ष की आयु में 27 मई 1964 को अस्वस्थ होने के कारण उनका निधन हो गया।उन्होंने इच्छा व्यक्त की थी मृत्यु के बाद उनकी चिता की भस्म खेतो में बिखेर दी जाये।नेहरू जी की इस इच्छा का पूरा सम्मान किया गया।
देश के इस महान सपूत के कार्य और विचार आज भी हमारा पथ प्रशस्त कर रहे है।

-आकिब ज़ावेद
प्रा. वि.(अँग्रेज़ी माध्यम)
उमरेहण्डा,क्षेत्र-बिसंडा
जिला-बाँदा,उत्तर प्रदेश


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