दीवार पत्रिका के तृतीय अंक का प्रकाशन एवं दीपावली उत्साह


दिवाली का मौसम,इंद्रधनुष की तरह उमंग एवं उत्साह से सराबोर विद्यालय के बच्चे अपनी अपनी रचनाओ को हमारे पास लेकर आए एवं कहते है कि सर आज 05 नवम्बर है!हमने कहा हा तो!बच्चो ने सहसा ही कहा अरे सर!आज इंद्रधनुष बनना है!☺️☺️
पिछले अंकों से सीख लेते हुए इस 03 अंक में काफी सुधार करने की गुंजाइश नज़र आ रही थी!तभी संजय सर अपने कुछ सुझाव को प्रस्तुत किया तभी कामता सर ने भी अपनी राय रखी!इस प्रकार इस अंक में विद्यालय स्टाफ़ का भरपूर सहयोग बच्चो को मिला!बच्चो ने इस बार पत्रिका को और आकर्षित करने का प्रयास किया!इस बार का अंक पूरी तरह से दीपावली पर केंद्रित रहा!किसी बच्चे ने कविता,दीपावली पर निबंध,चित्र आदि के माध्यम से अपनी अभियक्ति प्रदान की!बच्चो के अंदर उत्सुकता बरकरार रही!खास कर कक्षा 1-2 के बच्चे पत्रिका बन जाने के बाद आकर देखते है!एवं पढ़ने का प्रयास करते है लेकिन विफल रहते है!इस प्रकार बच्चो के अंदर पढ़ने का हौसला जाग्रत हो रहा है कि हम भी जल्दी से पढ़ना सीख जाये एवं हमारी भी पत्रिका में सहभागिता हो!
इस प्रकार से हम पत्रिका के माध्यम से बच्चो के अंदर रचनात्मकता के साथ साथ भाषा कौशल में भी सुधार देखने को मिल रहा है!
बच्चे समाचार,पत्रिका,किताब के अंतर का बोध कर पाते है!
बच्चो के अंदर अभी और भी सुधार की गुंजाइश है जिसे टीम निरन्तर सुधारने की दिशा में प्रयासरत है!

साभार
-आकिब जावेद

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पेपर समाप्त हो जाने के बाद आज बच्चो ने क्राफ्ट के अंतर्गत घर से मिट्टी के खिलौने एवं चीज़े बना कर लाये थे!बच्चे बड़ो के सहायता से बहुत सारी चीज़ें सीखते है एवं हमारा प्रयास भी यही है कि बच्चो के अंदर नैतिकता का विकास किया जा सके!बच्चो के अंदर स्किल पैदा हो सके!
आज दिवाली के उपलक्ष्य में विद्यालय में गुब्बारे वगैरह लगा कर बच्चो के साथ दीपावली के त्यौहार को आनंद के साथ साथ मनाया गया।
वही दूसरी तरफ विद्यालय के प्रधानाध्यपक श्री जयनारायण गुप्ता जी के अथक मेहनत का प्रयास यह है कि स्कूल को आनंद घर के साथ साथ पर्यावरण से जोड़ दिया गया है एवं एक बगीचे का रूप ले लिया है!विद्यालय में इतने पौधे हो गए हैं कि अब वहां अतिरिक्त पौधे लगाने तक के लिए जगह नही बची जिसके कारण अब कुछ पौधों को स्थान्तरित करना पढ़ रहा है!एवं विद्यालय टीम की तरफ से नई मुहिम प्रारम्भ की गई है कि गाँव वालों को पौधे दिए जा रहे हैं जिससे वो अपने घरों में लगाये और स्कूल के पौधों को कोई हानि न पहुँचाये!समुदाय की सहभागिता बराबर बनी रहे!एवं सबके सहयोग से बच्चो का सर्वांगीण विकास हो सके!

साभार
आकिब जावेद
प्रा. वि.(अँग्रेज़ी माध्यम)
उमरेहण्डा-बिसंडा,जिला-बाँदा
उत्तर प्रदेश

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