मुकम्मल ना हुई जिंदगानी मेरी-ग़ज़ल

मुकम्मल ना हुई जिंदगानी मेरी
यूँ अधूरी रह गयी कहानी मेरी।।

ख्वाब भरे थे जो आँखों में मेरे
दे गयी अब कोई निशानी मेरी।।

इक तूफ़ान आया जिंदगी में मेरे
वो चाहते थे सुनाना कहानी मेरी।।

चेहरे पे थी मेरे इश्क की चमक
सुर्ख़ गुलाब पे है यूँ कहानी मेरी

यूँ इंतज़ार ही रहा शब भर तेरा
आकिब"सुनोगे तुम कहानी मेरी।।

-आकिब जावेद

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