उनको याद करना सज़ा हो गया!!ग़ज़ल

उनकी याद का अब नशा हो गया
उनको याद करना सज़ा हो गया

हम बेखबर रहे,दिल के खबर से
यूँ एकदूसरे का अब नशा हो गया

बस कर साँसों में,दिल से निकाला
दिये सारे ज़ख्म फिर हरा हो गया

कई जन्नते छुपी हैं,तिश्नगी में उनके
चाहत में उनकी यूँ दीवाना हो गया

उम्र भर के रिस्ते यूँ जोड़ा सबसे
एक गलती में वो खफ़ा हो गया

सनम तेरे प्यार में,यूँ खाया धोखा
कहाँ का था,अब कहाँ का हो गया

घने ज़ुल्फो के गेसुओँ को देखा
जिंदगी का यही फ़लसफ़ा हो गया

अब जिंदगी का रिवाज बदल गया
कल तुम्हारा था,आज हवा हो गया

बदनाम करने को"आकिब"नही चूकते
सारे फ़लसफ़े यूं रफ़ा दफ़ा हो गया

-आकिब जावेद





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