हाइकु:सुबह /भोर

हाइकुः सुबह..प्राताः..भोर
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हुआ सवेरा
जब आँखे खुलती
हो दिन प्यारा

चिड़िया कूकी
वो सूरज भी आया
सर के पास

बिखरी लाली
हैं फैला उजियारा
अब जग में

भास्कर देखो
बोले जग में काम
करलो सब

दिन हैं प्यारा
अब खुशियों वाला
बिखरो अब

आकिब देखो
खुशियां दो सबको
हंस लो अब।।

®आकिब जावेद

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