देखा तुम्हे था जब से,जैसे चाँद याद आया हो...
खुले आसमाँ में वो जैसे खूब लहलहाया हो...
दिल मेरा भरा नही हैं,ओ सुन ले ओ दिलबर...
तुझे चाहते हैं हरदम,तुम ही मेरी प्रेरणा हो...
रातो को जागा करते,वो आसमाँ को ताका करते...
सोचा ही करते तुमको,तुम अब मेरी धारणा हो....
तुम अब मेरी धारणा हो,तुम मेरी साधना हो...
वो ख्वाबो में मेरे दिलबर..आते हो खूब सताने...
यूँ मेरी कल्पना का जैसे सिलसिला दोहराने...
सोचा ही करते तुमको,तुम अब मेरी धारणा हो....
तुम अब मेरी कल्पना हो,तुम मेरी साहिबा हो...
गर बाते तुम ना करती,यूँ बेचैनियाँ ही रहती..
आ जाओ याद दिलाने,दिल में अब जगमगाने...
साँसे तड़प रही हैं,यूँ अब जाँ मचल रही हैं...
तुम अब मेरी कामना हो,तुम मेरी वेदना हो...
वो मृगनैनी सी आँखें, वो गुलाब से तेरे होंठ..
वो दिल लूटती बिंदिया,दिल में जलाते जोत...
वो जैसे मिश्री सी मीठी बाते,अब हाय तेरी याद...
सोचते ही रहते तुझको,तड़पाती रहती तुम तो...
तुम अब मेरी धारणा हो,तुम मेरी साधना हो....
तुम मेरी साधना हो....
तुम मेरी प्रेरणा हो....
®आकिब जावेद
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