इश्क की आवाज़

इश्क की आग को हम
दिल में जलाये जाते हैं

ख़ामोश लफ़्ज़ों को
चुप चाप सुनाये जाते हैं

तेरी याद थी दिल में मेरे
बिन कुछ कहे मनाये जाते हैं

कुछ कहा, कुछ सुना नही
गम के दिये जलाये जाते हैं

आँखों में अश्क़,दिल में तड़प
जिंदगी के गम में डुबोये जाते हैं

आवाज़ दिल से इश्क की सुनी
बेसाख़्ता हम मुश्कुराये जाते हैं

दिल के बंद दरवाजे में आवाज़ आयी
इश्क की सुगबुगाहट में खोये जाते हैं!!

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