खेतों में चरता
भेड़ो का झुंड,
वहीं पास में बैठा चरवाहा
मुस्कुरा रहा है देखकर
जिधर चाहो
उधर हांक दो
भेड़ो को।
अस्तित्व विहीन
झुंड अक्सर
ऐसे ही सधता है
जैसे साधने से
एक भेड़
सध जाती हैं
सारी भेड़ें।
आकिब जावेद
"सपने वो नहीं जो नींद में देंखें,सपने वो हैं जो आपको नींद न आने दें - ए० पी०जे०अब्दुल कलाम "
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5 टिप्पणियाँ
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में रविवार 03 अगस्त 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया आपका
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया आपका
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंThanks For Visit My Blog.