आज की शायरी आवाज़ सुखन ए अदब

फ़ौत   हो   के    निहारता  नीचे,
आसमां  में  नही  बनी  खिड़की।

उड़     गई    रानाइयाँ   सारी  ही,
देखते  ही  ये  कब्र  की  खिड़की।

आकिब जावेद 

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