शोषित - वंचितो को पढ़ने का
अधिकार दिलाया।
राजनीतिक - सामाजिक
गलियारों में तूती बुलवाया।
संविधान बना कर सबको,
जीने की राह दिखलाया।
छुआ - छूत से मुक्ति दिलाई,
अधियारें में रौशनी फैलाई।
क्या ये सब किया
बेकार चला गया?
गुलामी की बेड़ी
जेहन में अभी तक पड़ी है,
तुम्हारे हक़ के लिए
किया गया संघर्ष
क्या मज़ाक बन गया?
आकिब जावेद
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