विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर कविता - हिंदी

मातृभूमि  हिन्द  की  वसुंधरा  में  जन्म पाये हैं,
अमीर  ख़ुसरो  की  भाषा,हिंदी को अपनाये हैं।

जन - जन  की  भाषा है, साथ सबको लाती है,
सबके  उर  में  हिंदी  अपना  स्थान  बनाती है।

भाषा  हिंदी  को  सबने  ही  सदैव स्वीकारा है,
पूर्व-पश्चिम ,उत्तर - दक्षिण में जय-जयकारा है।

संत  कबीर,सूर ,रहीम ,तुलसी हो  या पद्माकर,
हिंदी  के  कवि  सब  है, एक  से  एक  बढ़कर।

हिंदी  भाषा  की  अमर  गौरवशाली  कहानी है,
काल  को  जिसने  जीता  हो , ये ऐसी वाणी है।

जीवन  रेखा  है  हमारी,राष्ट्र  की  गौरवगाथा है,
भाषा  हिंदी  से   करे  प्रेम  जैसे हमारी माता है।

हिंदी  में  वैज्ञानिकता, मौलिकता, स्वीकार्यता है,
नई  शिक्षा नीति  में भी हिंदी की अनिवार्यता है।

सरल - सुबोध, सम्मान  की  हिंदी अधिकारी है,
विदेशी सारी  भाषाओं पर  हिंदी सबमें भारी है।

वर्तनी,  संस्कृति,  गान,  हिंदी  ही  व्याकरण  है,
आत्मा, भावना,  वेदना ,हिंदी  ही  आचरण  है।

माँ  की  कोख से  हिंदी  भाषा  को पहचाना है,
भाई  - बहन , दोस्तों को इस भाषा से जाना है।

-आकिब जावेद

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