दरकती जा रही हैं सभ्यताएं
दरकी थी जैसे वर्षों पहले
और समा गई थी धरती में
जैसे अब समाने को तैयार है,
नहीं चेते अगर समय से
इतिहास बन जाएंगे।
-आकिब जावेद
#जोशीमठ
दरकती जा रही हैं सभ्यताएं
दरकी थी जैसे वर्षों पहले
और समा गई थी धरती में
जैसे अब समाने को तैयार है,
नहीं चेते अगर समय से
इतिहास बन जाएंगे।
-आकिब जावेद
#जोशीमठ
"सपने वो नहीं जो नींद में देंखें,सपने वो हैं जो आपको नींद न आने दें - ए० पी०जे०अब्दुल कलाम "
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