सरे बाजार सौदा हो रहा है
लहू पानी से सस्ता हो रहा है।
बहुत बढ़ने लगी बेरोजगारी
सियासत का करिश्मा हो रहा है।
हवा चलने लगी है नफ़रतों की
तभी इतना ख़सारा हो रहा है।
-आकिब जावेद
"सपने वो नहीं जो नींद में देंखें,सपने वो हैं जो आपको नींद न आने दें - ए० पी०जे०अब्दुल कलाम "
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2 टिप्पणियाँ
आपकी रचनाओं मेँ आपका परिवेश बोलता है।असरदार अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंवाचस्पति09450162925 वाराणसी.
बहुत-बहुत शुक्रिया आदर.जी💐💐
हटाएंThanks For Visit My Blog.