चिठ्ठी में कोई अपना एहसास लिखा होता।
मुझको धरती और खुद को आकाश लिखा होता।
पानी की सरगम बज उठती एक बार भी तूने
सागर की हर लहरों का निःश्वास लिखा होता।
हर शब्द प्रेम में रंगा हुआ हर पँक्ति गीतिका होती
हर रात पूर्णिमा होती गर मधुमास लिखा होता।
✍️आकिब जावेद
4 टिप्पणियाँ
Well done Akib Javed Ji
जवाब देंहटाएंThank you so much ji
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति 👌
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया जी
हटाएंThanks For Visit My Blog.