धीमी - धीमी आंच में पकती है जब चाय,
नेह भी हो जाए तृप्त अंतर्मन बोले हाय!
साथी - संगती साथ में बैठें लगाए चौपाल,
सुख - दुःख बांटे साथ में हो बिस्कुट-चाय।
-आकिब जावेद
धीमी - धीमी आंच में पकती है जब चाय,
नेह भी हो जाए तृप्त अंतर्मन बोले हाय!
साथी - संगती साथ में बैठें लगाए चौपाल,
सुख - दुःख बांटे साथ में हो बिस्कुट-चाय।
-आकिब जावेद
"सपने वो नहीं जो नींद में देंखें,सपने वो हैं जो आपको नींद न आने दें - ए० पी०जे०अब्दुल कलाम "
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3 टिप्पणियाँ
बिन चाय सब सून ☕☕
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका
हटाएंBahut khoob sir ji
जवाब देंहटाएंThanks For Visit My Blog.