आशियाँ ये बदल रहा हूँ मैं ।
तेरे दिल से निकल रहा हूँ मैं ।
तेरी यादों से है गुज़र मेरी
दर्दे दिल से पिघल रहा हूँ मैं ।
वक़्त हमराह था कभी जिसका
देख वो ख़ास पल रहा हूँ मैं ।
मुझको भटका न दें तेरी आंखें
ख़ुद से ही अब संभल रहा हूँ मैं ।
आईने में बुराई दिखती है।
खुद में आकिब' बहल रहा हूँ मैं।
-आकिब जावेद
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