माँ दिवस पर रचना - माँ से बड़ के न मसीहा कोई देखा अपना

मातृ_दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐


माँ  से बड़ के न मसीहा कोई देखा अपना

अपने बच्चों की ख़ुशी उसका है सपना अपना

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पोछने  को  नही  आता  यहाँ  कोई  आँसू

कौन  है  माँ  के  सिवाए  हमें  कहता  अपना

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देखता  तक  नही बेटा  वो  जो  साहब  हो कर

माँ  ने  औलाद  पे  घर - बार  लुटाया  अपना

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ये  घरौंदा  जो  बसाया  पसीने  से  उसने

परवरिश  में  माँ  ने  सब  कुछ  तो  लुटाया अपना

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बोल  दो  प्यार  से  तुम  भी  यूँ  कभी  बोले  हो

माँ  के  जैसा  न  मिलेगा  यहाँ  सच्चा  अपना

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माँ  भी  तकलीफों  को  सह  लेती  है  हँस हँस कर के

दर्द  में  माँ  के  अलावा  नही  दूजा  अपना

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रखकर  फ़ाक़ा  जिसने  दी  है  उड़ान  ये 'आकिब'

हूँ  माँ  के  आगे  मैं  भी  सर यूँ झुकाता  अपना

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✒️आकिब जावेद

स्वरचित/मौलिक


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