कविता - जिल्लत

तराश दो मुझे
थोड़ा एक-दो
ऐब लगा दो
घूँट पी जाऊँगा
जिल्लत के
नही कहूंगा
कुछ भी
किसी से
पशोपेश में
रहता हूँ
क्या हूँ
क्या सोचूँ
ज़िन्दगी ये
ये ही नही
ख़ैर!
मतलब की
ये दुनिया!
मतलब के
लोग!

#akib


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