कविता- इंतेज़ार

इंतेज़ार
शब भर जाग कर
नींद को त्याग कर
महबूब की याद में
हो जाना मशगूल
सिर्फ़ इस उम्मीद में,
आएगा वो शख़्स
जिसकी याद में
हिज़्र में बिता दिए
जो दिन गिन गिन 
लिपटा लेगा यादों
को और मुहब्बत
बिखेर देगा रूह में।।

-आकिब जावेद

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