आज की शायरी

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मुझें  तो  नज़रंदाज़ करना न आया،
उसे भी बहुत सी ग़लतफ़हमी होंगी।। 

-आकिब ज़ावेद

مجھے تو نازارانداز کرنا نے آیا, 
اسے بی بوت شی غلط فہمی ہوگی।।

-عاقب جاوید

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