• Apr 7, 2025

कोरोना- कविता

मानवता  को  ही  भूलकर
मानव करता था सब काम
सुबह  से  लेकर शाम तक
नही  था  एक  भी आराम
प्रकृति का खूब दोहन करा
वह धरा का किया नुकसान
सोंच   रहा   था  उसने  भी
खूब   कर   लिया  है  नाम
राष्ट्रों  ने  भी  कर लिया था
परमाणु  बम  का  इंतेज़ाम
लेना था सबसे अब इंतक़ाम
अर्थव्यवस्था  को  लेकर थी
राष्ट्रों की खूब यूँ  खींचातान
जिसे देख होता ईश्वर हैरान
तभी  अचानक  एक  दिन
वुहान शहर से आया मेहमान
था  कोरोना  नाम का शैतान
पूरे  विश्व  में  डालकर  डेरा
दिया  खूब  घातक  अन्जाम
थे परमाणु से जो रौब झाड़ते
वो  हो गए  जीवाणु से हैरान
एक - दूजे  के यूं  सम्पर्क से
फैलने लगा था धीरे-धीरे रोग
सहमे -सहमे से रहने लगे थे
यूं  सभी  राष्ट्र  के  अब लोग
कोरोना ने खूब महामारी फैलाई
नही  बनी  है इसकी कोई दवाई
मिलकर अपनाए  सब यूं उपाय
सामाजिक दूरी,सेनेटाइजर,मास्क
घर से बाहर जाने पर अपनाए
लॉकडाउन  का  पालन करे
कोरोना को मिलकर हराए
राष्ट्र को विश्व विजेता बनाए।।

-आकिब जावेद
बाँदा,उत्तर प्रदेश
मो-9506824464






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