धीमी- धीमी हवा जहरीली हुई जा रही है।
ज़िन्दगी नरक सबकी क्यों हुई जा रही है।।
वक़्त रहते तू नादाँ कभी भी सुधरा नही।
तेरी गलती की सजा हमें मिली जा रही है।।
हमनें मुँह में बीड़ी,सिगरेट कभी रखी नही।
डॉक्टर की सलाह मुफ्त में सुनी जा रही है।।
छेड़ छाड़ जो कुछ किया पर्यावरण में हमने
साँस अपनी यहाँ पर अब थमी जा रही है।।
मोह माया में अपने अपने तल्लीन हो गए
कल की फ़िक्र यहाँ पर कहाँ की जा रही है।।
-आकिब जावेद
0 टिप्पणियाँ
Thanks For Visit My Blog.